Friday, November 22, 2019

बिन्यामिन नेतन्याहू: इसराइली प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप

एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चिली में ग़ैर-बराबरी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों को सुरक्षाबलों ने जानबूझकर घायल किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक़, पुलिस द्वारा ज़रूरत से ज़्यादा बलप्रयोग करने की वजह से पांच लोगों की मौत हो गई और हज़ारों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों का उत्पीड़न हुआ और उन्हें यौन हमलों का शिकार भी बनाया गया.
चिली में ये विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुए थे जब सैंटियागो में सार्वजनिकों वाहनों के किराए में इज़ाफ़ा किया गया था. इसके बाद इन प्रदर्शनों ने चिली में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक असमानता के ख़िलाफ़ व्यापक रूप ले लिया.
अमरीका में एम्नेस्टी इंटनेशनल की निदेशक एरिका गुएवारा रोसास ने कहा कि पुलिस की ये बर्बर कार्रवाई बिना किसी मक़सद के नहीं की गई थी. उन्होंने कहा कि इसका मक़सद 'भविष्य में लोगों को इस तरह के प्रदर्शन करने से हतोत्साहित करना था.'
इसराइल के अटॉर्नी जनरल ने प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पर तीन अलग-अलग मामलों में रिश्वत लेने, धोखाधड़ी करने और भरोसा तोड़ने का आरोप लगाया है
उन्होंने कहा, "आज शाम को हम एक प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ तख़्तापलट की साज़िश के ग़वाह बने हैं. से सब झूठे आरोपों और दोषपूर्ण जांच प्रक्रिया के तहत हो रहा है...लेकिन मुझे लगता है कि अगर जांचकर्ताओं और पुलिस कुछ ग़लत कर रही है और आप उसे नहीं देख पा रहे हैं तो आप अंधे हैं..."
नेतन्याहू पर ये आरोप ऐसे वक़्त में लगे हैं जब इसराइल में पहले से ही राजनीतिक गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. यहां अप्रैल और सितंबर में हुए दो आम चुनाव बेनतीजा र
अटॉर्नी जनरल अविख़ाई मंडोब्लिट ने फ़रवरी में ही कहा था कि वो तीन मामलों के सिलसिलों में नेतन्याहू पर मुक़दमा करना चाहते हैं.
अपने फ़ैसले की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, ''मैंने आज प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू को अपने फ़ैसले के बारे में बताया. मैंने बताया कि उन पर तीन आरोपों में मुकद़मा चलाया जाएगा. जिस दिन कोई अटॉर्नी जनरल किसी पदस्थ प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में मुक़दमा चलाने की बात करता है, वो दिन दुखद होता है. आज मेरे लिए और इसराइल के लोगों के लिए दुख का दिन है.''
नेतन्याहू के ख़िलाफ़ चल रहे इन मामलों को केस 1,000, 2,000 और 3,000 के नाम से जाना जाता है. ये सभी मामले लंबित थे और पिछले महीनें इन तीनों पर आख़िरी सुनवाई हुई.
केस 1,000: इस मामले में नेतन्याहू पर धोखाधड़ी करने और भरोसा तोड़ने के आरोप हैं. उन पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने एक अमीर दोस्त से किसी काम के बदले कई महंगे तोहफ़े जैसे पिंक शैंपेन और सिगारें लीं. नेतन्याहू का कहना है कि ये सभी तोहफ़े सिर्फ़ दोस्ती की वजह से मिले और उन्होंने तोहफ़ों को ग़लत तरीके से किसी काम के बदले में नहीं लिया. नेतन्याहू के दोस्त ने ऐसे किसी भी आरोप से इनकार किया है.
केस 2,000: ये मामला भी धोखाधड़ी और भरोसा तोड़ने का है. इसमें नेतन्याहू पर आरोप है कि उन्होंने एक प्रमुख अख़बार के प्रकाशक को अपनी पार्टी के बेहतरीन कवरेज और अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी को कमज़ोर करने के लिए एक डील पर मंज़ूरी दी थी. इस मामले में भी नेतन्याहू और अख़बार के प्रकाशक ने भी आरोपों से इनकार किया है.
केस 3,000: तीनों मामलों में ये सबसे संगीन मामला है और इसमें नेतन्याहू पर रिश्वत लेने का आरोप है. इसके अलावा उन पर भरोसा तोड़ने और धोखाधड़ी करने के आरोप भी हैं.
आरोप है कि नेतन्याहू ने एक प्रमुख टेलीकम्युनिकेशन कंपनी के पक्ष में नियामक फ़ैसले को बढ़ावा दिया ताकि वो कंपनी अपनी वेबसाइटों पर नेतन्याहू के समर्थन वाली और सकारात्मक ख़बरों को जगह थे.
हालांकि नेतन्याहू का कहना है कि कंपनी के पक्ष में फ़ैसले को विशेषज्ञों ने अपना समर्थन दिया था और कंपनी ने किसी भी तरह के अनुचित कदम के आरोपों से इनकार किया है.
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन मामलों का नेतन्याहू के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा. जब तक वो दोषी करार नहीं दिए जाते तब तक उन्हें निर्दोष ही माना जाएगा और उनके प्रधानमंत्री बने रहने के रास्ते में अभी कोई क़ानूनी अड़चन भी नहीं है.
इन मामलों को अदालत में लाए जाने महीनों का वक़्त लगेगा और दोषी करार दिए जाने के बात भी नेतन्याहू को तुरंत पद से इस्तीफ़ा देने की नौबत नहीं आएगी. इस पूरी प्रक्रिया में वर्षों लग सकते हैं.
हालांकि पत्रकारों का कहना है कि इन सबसे से नेतन्याहू की नेतत्व क्षमता और मामले संभालने की क्षमता पर सवाल ज़रूर खड़े होंगे.
ऐसे आसार हैं कि कुछ ग़ैर सरकारी संस्थाएं नेतन्याहू को इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगी.
इससे पहले इसराइल के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में कहा था कि अगर किसी कैबिनेट मंत्री पर आपराधिक मुक़दमा चलता है तो उसे इस्तीफ़ा देना होगा. अब सुप्रीम कोर्ट को ये देखना होगा कि उसका ये फ़ैसला प्रधानमंत्री पर लागू होगा या नहीं.
वहीं, नेतन्याहू के सहयोगी संसद में कोई ऐसा बिल पास कराने की कोशिश कर रहे हैं जिससे उनके पद पर हुए मुक़दमा चलाए जाने से रोका जा सके.
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बुधवार को नेतन्याहू के प्रतिद्वंद्वी और उनके ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल बेनी गैंट्ज़ ने कहा था कि वो संसद में बहुमत होने के बावजूद गठबंधन सरकार बनाने में नाकाम रहे.
इसराइल के राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन ने मंत्रियों से कहा था कि वो 21 दिनों के भीतर प्रधानमंत्री पद के लिए किसी एक नाम पर सहमति बना लें ताकि देश में एक ही साल में तीन आम चुनाव होने से रोका जा सके.
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नेतन्याहू पर आरोप है कि उन्होंने धनी व्यापारियों से उपहार लिए और अपने पक्ष में ज़्यादा प्रेस कवरेज हासिल करने के लिए पक्षपात किया.
नेतन्याहू ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वो 'विचहंट' का शिकार हुए हैं. नेतन्याहू का कहना है कि उन्हें वामपंथी विरोधियों और मीडिया ने निशाना बनाया है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि वह इस्तीफ़़ा नहीं देंगे और ऐसा करने के लिए वो कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं.
नेतन्याहू ने ये भी कहा कि उन्हें पद से हटाने के लिए तख़्तापलट की साज़िश की जा रही है.

Tuesday, September 17, 2019

इस कैंप में आने वाले बच्चे करोड़पति बनते हैं

टोरंटो के एक चर्च में किराये के कमरे में हसीना लुकमैन की नज़रें शेयर बाजार के सूचकांकों पर लगी हुई हैं.
वह "वॉल्यूम" के बारे में पूछती हैं और फिर बाज़ार पूंजीकरण के बारे में विस्तार से बताती हैं. वहां मौजूद छात्र उनको ध्यान से सुनते हैं.
यह कोई नाइट स्कूल या कॉलेज की क्लास नहीं है. लुकमैन एक प्रोजेक्ट मैनेजर हैं जिन्होंने कैंप मिलियनेयर का गठन किया है और वह यहां पढ़ाती भी हैं.
उनके पास 10 से 14 साल की उम्र के करीब दर्जन भर बच्चे आते हैं.
वह डिज्नी कंपनी की माली हालत की चर्चा करते हुए कुछ दिन पहले उसके बाज़ार मूल्य में आई गिरावट की बात करती हैं तो एक बच्चा फुसफुसाते हुए कहता है, "मुझे यकीन है कि ऐसा अलादीन के आने पर हुआ था."
लुकमैन के पास आने वाले बच्चों की पृष्ठभूमि अलग है, लेकिन अधिकतर बच्चे मध्य और उच्च वर्ग के परिवारों के हैं.
हफ्ते भर तक चलने वाले कैंप के लिए लुकमैन 275 कनाडाई डॉलर (लगभग 168 पाउंड) लेती हैं. निम्न आय वर्ग के बच्चों को छात्रवृत्ति मिलती है.
उनका कहना है कि वे यहां इसलिए नहीं आते क्योंकि वे अमीर बनना चाहते हैं. "बच्चे उन परिवारों के हैं जिनमें माता-पिता दोनों काम करते हैं इसलिए उनको पता है कि अच्छी ज़िंदगी के लिए आपको कड़ी मेहनत की ज़रूरत होती है."
"वे यह सीखने आते हैं कि मैं यह कैसे सुनिश्चित कर सकता हूं कि मेरे पास यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए पर्याप्त पैसे हों और मैं कैसे अपनी ज़िंदगी में खुशहाल रख सकता हूं."
हममें से कई लोग अपने बचपन में गर्मी की छुट्टियों को याद करते हैं तो हमारा वक़्त फुटबॉल खेलने, तैरने या नाटक करने में बीतता था.
हाल के वर्षों में कई समर कैंप (किताबें और पत्रिकाएं भी) में बच्चों को यह सिखाया जाता है कि पैसे कैसे कमाएं, कैसे बचाएं और कैसे अमीर बनें.
पूरे उत्तर अमरीका में कैंप मिलेनियर जैसे फाइनेंस कैंप खुल गए हैं. डेनवर में जूनियर मनी मैटर्स है जहां बच्चों को अंतरराष्ट्रीय कारोबारी सिद्धांत सिखाए जाते हैं.
ऑस्टिन में मुल्ला यू के कैंप में बच्चे कारोबार खड़ा करते हैं, उत्पाद बनाते हैं और असली पैसों के लिए उनको बेचते हैं.
हांगकांग में किड्स बिज़ एकेडमी के होलीडे कैंप में 8 से 14 साल के बच्चे व्यापार चलाने के गुर सीखते हैं.
कोलकाता के यंगप्योनोर में किशोरों को वास्तविक जीवन के सफल उद्यमियों के साथ जोड़ा जाता है.
टोरंटो के कैंप मिलिनेयर में बजट, बचत और निवेश निर्णयों के अलावा जटिल वित्तीय अवधारणाओं के बारे में सिखाया जाता है, जैसे कि चीन के साथ व्यापार युद्ध से कनाडा के निवेशक पर क्या असर पड़ेगा.
लुकमैन के मुताबिक कम उम्र के बच्चे शेयर बाजार की चुनौतियों को बेहतर समझते हैं.
इस तरह के कैंप कई दिलचस्प सवाल उठाते हैं- मसलन, 7 या 13 साल के बच्चे के लिए सही वित्तीय शिक्षा कैसी होनी चाहिए?
माता-पिता अपने बच्चों को जो नैतिक मूल्य सिखाना चाहते हैं, उनमें पैसे बनाने वाली वित्तीय शिक्षा कहां पीछे रह जाती है?
क्या इस तरह के कैंप सिर्फ़ वर्ग-आधारित स्थिति को सुदृढ़ करने में मददगार हैं या ये गरीब बच्चों को भी बराबरी पर आने के मौके दे सकते हैं?
ऐसे समय में जबकि मां-बाप बच्चों को मिल रही अपार सूचनाओं को नियंत्रित करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, क्या धन का प्रबंधन और वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के बारे में बच्चों को बताना कम उम्र में बहुत ज़्यादा की अपेक्षा करना नहीं है?
कैंप मिलेनियर का पाठ्यक्रम बढ़ते बच्चों को वित्तीय साक्षरता के लिए प्रोत्साहित करता है.
परोपकार और सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पैसे कैसे खर्च किए जाएं, यह भी बताया जाता है.
बेशक कैंप में संपत्ति अर्जित करने पर जोर होता है, लेकिन लुकमैन बच्चों को प्रोत्साहित करती हैं कि वे दूसरे देशों में क्या चल रहा है इसे भी जानें समझें. मसलन, जलवायु परिवर्तन कैसे उनके निवेश को प्रभावित कर सकता है.
वह कहती हैं, "हम पेरिस में लू के थपेड़ों की बात करते हैं और यह भी कि इसके आपके पोर्टफोलियो के लिए क्या मायने हैं."
स्टॉक मार्केट चैलेंज के लिए लुकमैन हर बच्चे को 10 हजार डॉलर की वर्चुअल मनी देती हैं.
पहले दिन बच्चे शेयर बाजार की बुनियादी बातें सीखते हैं, जैसे- यह कैसे काम करता है, करेंसी, बाजार खुलने और बंद होने का समय वगैरह.
उस दिन वे ज़्यादा सोचे-समझे बिना उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनके नाम से वे परिचित होते हैं, जैसे एप्पल और डिज्नी.
लेकिन कुछ दिनों बाद जब वे डिविडेंड और अन्य प्रासंगिक सूचनाओं से परिचित हो जाते हैं, तब वे निवेश के लिए सावधानी से कंपनियां चुनते हैं. लुकमैन कहती हैं, "देखिए कि 5 दिनों में बच्चे कितना कुछ सीख गए हैं."
दस साल की एलेक्जांड्रा रीव्स का कहना है कि वह अक्सर इकोनॉमिक्स पॉडकास्ट सुनती हैं और कैंप शुरू होने से पहले उन्होंने एक सस्ते टेक्नोलॉजी स्टॉक की तलाश में बैरोन (अमरीकी वित्तीय प्रकाशन) में खूब जांच-परख की थी.
वह यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करना चाहती हैं और यह समझने के लिए कैंप मिलेनियर आई हैं कि लक्ष्य को हासिल करने के लिए पर्याप्त पैसे कैसे बचाए जाएं.
तेरह साल के जेम्स बेगिन ने स्टॉक मार्केट चैलेंज के पहले दिन ब्लॉकचेन में निवेश करके पैसे गंवा दिए.
उसके बाद गोल्डन स्टार रिसोर्सेज में निवेश करके उन्होंने रातोंरात 1,000 वर्चुअल डॉलर की कमाई की. कनाडा की इस कंपनी के पास घाना में खदाने हैं.
बेगिन का कहना है कि उन्होंने सीखा कि बैंक कैसे पैसे कमाते हैं, लेकिन वह अब भी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट से शेयर बाजार कैसे ऊपर-नीचे हो जाता है.
वह कहते हैं, "यह तो बहुत ही बुरा है कि एक व्यक्ति खरबों डॉलर को प्रभावित कर सकता है."
इस प्रवृत्ति को अपने वित्तीय भविष्य के प्रति मध्य वर्ग की चिंताओं का संकेत समझना पूरी तरह सही नहीं है.
वित्तीय विशेषज्ञ लिज़ फ्रेज़ियर कहती हैं, "क्रेडिट कार्ड कर्ज और पढ़ाई के कर्ज बहुत अधिक हैं और ज़्यादातर वयस्कों के पास रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त बचत नहीं है."
फ्रेज़ियर ने "बियॉन्ड पिगी बैंक्स एंड लेमोनेड स्टैंड्स: हाउ टू टीच यंग किड्स अबाउट फाइनेंस" किताब लिखी है.
वह कहती हैं, "वित्तीय शिक्षा नहीं होने की वजह से ऐसा हो रहा है. मुझे लगता है कि यह एक जीवन कौशल है जो आपको जानना चाहिए."
वित्तीय शिक्षा के कुछ समर्थक स्कूली पाठ्यक्रमों में इसे शामिल कराने के लिए प्रयासरत हैं.
कुछ लोग इसे गणित के पाठों में शामिल कराना चाहते हैं. लेकिन अब तक बहुत कामयाबी नहीं मिली है.
यह कौशल नहीं होने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं. इलिनॉयस यूनिवर्सिटी ने करीब 3,000 युवा वयस्कों का सर्वे किया तो पता चला कि उनमें से करीब एक तिहाई लोग खराब वित्तीय प्रबंध कौशल के कारण अनिश्चितता में फंसे थे.
आईबीएम में सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट मैनेजर बेंजामिन हुई ने 14 साल की बेटी कियरा को पिछले साल कैंप मिलेनियर भेजा था.
कियरा अब अपने पिता को वित्तीय सलाह देती है. बेंजामिन हुई को लगता है कि यह कैंप शिक्षा की खाई को भरने में बहुत मददगार है.
"वे असल में वित्तीय साक्षरता या पैसे कमाना नहीं सिखाते. बच्चों को विकल्प बनाने और उनसे जुड़े जोख़िम और पुरस्कार को समझने के काबिल होना चाहिए."
ख़ासकर स्टॉक मार्केट चैलेंज का विचार उनको बहुत पसंद है, जहां बच्चे अक्सर बड़ी रकम गंवा देते हैं.
10-14 साल के बच्चे इसके अभ्यस्त नहीं होते. हुई कहते हैं, "इससे उन्हें जोखिम के नकारात्मक पहलुओं का पता चलता है."
यह सिर्फ़ समर कैंप नहीं है. छोटे बच्चों और किशोरों के लिए पैसे की सलाह तेज़ी से कुटीर उद्योग बनता जा रहा है.
स्टार्ट-अप पिज़्बे उन्हें नई क्रिप्टो-करेंसी पिगी बैंक पर हाथ आजमाना सिखाता है. "टीन बॉस" पत्रिका में "अपना ब्रांड कैसे तैयार करें" जैसे शीर्षक होते हैं.
फ्रेज़ियर बताती हैं कि बच्चे पैसे के बारे में सीख रहे हैं भले ही वे इसे जानते हैं या नहीं. "माता-पिता को अपने बच्चों के साथ बातचीत में इसे जानबूझकर शामिल करना चाहिए."
फाइनेंस कैंप में इसी तरह की बातचीत होती है, इसे सलाह या शिक्षा बताकर इसे बोझिल नहीं किया जाता.
फ्रेज़ियर कहती हैं, "आपको बस उनको यह समझाना है कि पैसा एक साधन है. यह अच्छा या बुरा नहीं होता. यह तटस्थ होता है."
"उन्हें यह सीखने की ज़रूरत है कि पैसा क्यों महत्वपूर्ण है और हम पैसे कैसे कमाएं और फिर उसे कैसे बढ़ाएं."
कैंप मिलेनियर के बच्चों ने चक्रवृद्धि ब्याज को समझने में महारत कर ली है.
उत्तर अमरीका मुक्त व्यापार समझौते पर चल रही सौदेबाजी पर चर्चा के तुरंत बाद वे ब्रेक के लिए मैदान में गए और रबर की गेंद से खेलने लगे. दोपहर बाद वे फिर से टाई-डाई शर्ट में इकट्ठा हुए.
पैसे के बारे में उनके विचार कुछ ही देर के लिए थे. शेयरों के साथ खेलने, यूनिवर्सिटी के लिए पैसे कमाने और एक दिन कार खरीदने में सक्षम होने का विचार कई बच्चों को पसंद है. लेकिन उनमें ताक़त या लालच के लिए धन संग्रह की आकांक्षा नहीं है.
कैंप मिलेनियर के 16 साल के सलाहकार एब्टिन अब्बासपोर कहते हैं, "ज़िंदगी में कुछ पाने के लिए सभी को पैसे की ज़रूरत होती है."
"जब आप माता-पिता के सुरक्षित घेरे में हैं तभी यह जान लेना अधिक मायने रखता है."
अब्बासपोर इन दिनों कार चलाना सीख रहे हैं. पहले उनकी नज़र बड़ी गाड़ियों के लिए ललचाती थी.
अब वह कहते हैं, "जब मैं सोचता हूं कि पैसे मेरी जेब से ख़र्च होंगे तो होंडा सिविक मेरे लिए ठीक रहेगा."

Thursday, August 22, 2019

ولكن خبراء يقولون إن هذه الإجراءات مؤقتة فقط، ويحاججون بأنه

وأشارت وولي إلى بعض السلوكيات المزعجة لبعض الرجال الذين يتعمدون مقاطعة النساء ونسب أفكارهن لأنفسهم وإنهاء الحديث ومنع النساء من الإدلاء بآرائهن، وذكرت أن هذه السلوكيات تحبط الجهود الجماعية.
وأثبتت وولي أن الفرق التي يغلب عليها النساء أحرزت درجات أعلى
قدمت أبحاث وولي أدلة على أن الذكاء الجمعي لا يعتمد على مهارة الفرد بقدر اعتماده على الأداء الجماعي وسلوكيات الفريق. وقد تؤثر نظرة الفرد لمهاراته على سلوكيات أفراد الفريق وذكائهم الجمعي.
وخلصت دراسات عديدة إلى أن الزهو بالنفس والثقة المفرطة في المهارات قد تضعف قدرات المرء على التعاون مع أفراد الفريق. وأثبتت دراسة أن الفرق المؤلفة من مجموعة من الزعماء أو أصحاب النفوذ لا تنجح في الغالب في التوصل إلى قرارات صائبة أو خلاقة.
وأشار تحليل لشركات الاتصالات السلكية واللاسلكية والمؤسسات المالية إلى أن الصراعات والمشاحنات تشتد بين أعضاء الفريق كلما علت مناصبهم في الشركة، بسبب الصراع الدائم على السلطة والنفوذ.
في الذكاء الجمعي مقارنة بالفرق التي يغلب عليها الرجال.
وأوضح مثال على تأثير السلطة والنفوذ على أداء الفريق، قدمته دراسة أجريت على محللي الأسهم في بنوك وول ستريت. إذ أثبتت الدراسة أن وجود أفضل المحللين الماليين، بحسب تقييم المستثمرين، في الفريق ينعكس إيجابا على أداء الفريق بأكمله، لكن إذا زادت نسبة المحللين المهرة أصحاب الخبرة في أحد الإدارات عن 45 في المئة، تنخفض كفاءة الإدارة.
وحلل عالم النفس الاجتماعي آدم غالينسكي أداء فرق كرة القدم في بطولتي كأس العالم لعامي 2010 و2014. وقارن بين ترتيب المنتخبات في الأدوار التأهيلية وبين عدد لاعبيها المحترفين في أفضل أندية العالم.
ولاحظ غالينسكي أن المنتخب يستفيد من وجود عدد محدد من النجوم، لا يتعدى 60 في المئة من اللاعبين في الفريق.
وقد تبدو هذه النتيجة منطقية بالنظر إلى هزيمة منتخب انجلترا أمام نظيره الآيسلندي عام 2016. إذ لم يضم الفريق الآيسلندي إلا لاعبا واحدا محترفا في أحد أفضل أندية العالم، وهو غيلفي سيغورسون، في حين أن نظيره الإنجليزي كان يضم 21 لاعبا محترفا في أفضل الأندية في العالم.
كما في مناطق أخرى من العالم، تشهد المنطقة المتجمدة الشمالية ارتفاعا في درجات حرارة الماء والهواء. ولكن المحيط المتجمد الشمالي مغطى بالجليد الذي ينصهر في موسم الصيف ويعود للتجمد في الشتاء. وفي العقود الأخيرة، كانت وتيرة انصهار الجليد أسرع من وتيرة تجمده في الشتاء مما سبب تقلص مساحته
ويسهم هذا في التغير الكبير في درجات الحرارة الحادث في المنطقة القطبية الشمالية مقارنة ببقية أنحاء العالم.
وقد نستخلص من هذه الأبحاث بعد النصائح التي تصلح للتطبيق على أي فريق لتحسين أدائه.
أولا، عند اختيار أعضاء الفريق، ابحث عن الأشخاص الذين يتمتعون بذكاء اجتماعي يمكّنهم من قراءة مشاعر الآخرين وأفكارهم، بدلا من اختيار الأشخاص بناء على أدائهم الفردي المتميز، لأن المهارات الاجتماعية تنعكس على أداء المجموعة ككل، ولا سيما إن كان الفريق يضم كوكبة من أصحاب المهارات المتميزة بالفعل.
تعد العاصمة الإندونيسية التي يسكنها نحو 10 ملايين نسمة واحدة من المدن التي تغرق بشكل سريع.
فالجزء الشمالي من المدينة يغرق بواقع 25 سنتيمترا في السنة في بعض المناطق.
هناك سببان لهذه الظاهرة الملفتة، وهما الزيادة الكبيرة في استغلال المياه الجوفية مما يسبب هبوط التربة
وارتفاع مستوى سطح البحر نتيجة التغير المناخي.
وتقوم السلطات بتشييد سد بحري طوله 32 كيلومترا و17 جزيرة اصطناعية لحماية المدينة بكلفة تبلغ 40 مليار دولار.
وثانيا، ينبغي أن يقدم القائد نموذجا سلوكيا يقتدي به أعضاء الفريق. إذ أشارت دراسات عديدة إلى أن بعض الخصال مثل التواضع تسري بين أعضاء الفريق، فإذا كان القائد رحب الصدر يصغي للآخرين دون مقاطعتهم ويعترف بأخطائه، ستنتشر هذه السلوكيات بين أعضاء الفريق ويتعاملون مع بعضهم بنفس الطريقة، وهذا يزيد من الذكاء الجمعي للفريق.
وسلط الكثير من المعلقين الضوء على تواضع هيمير هالغريمسون، أحد أفراد الطاقم الفني لمنتخب آيسلندا، الذي ساعد منتخب آيسلندا على الصعود إلى بطولة كأس الأمم الأوروبية لعام 2016، ولا يزال هالغريمسون يعمل كطبيب أسنان بدوام جزئي.
إذ كان هالغريمسون يستمع لآراء الآخرين ويحاول غرس هذا السلوك في جميع اللاعبين. ويقول هالغريمسون: "لا يمكن أن نهزم الفرق الكبرى إلا ببناء فريق متميز يتحلى بروح الفريق الواحد. وعلى الرغم من أن غيلفي سيغورسون هو أشهر لاعب في فريقنا، إلا أنه كان يبذل قصارى جهده على أرض الملعب، وكان نشاطه يبث الحماسة في نفوس سائر أعضاء الفريق".
حذّر علماء بضرورة أن نحد من ارتفاع درجات الحرارة عالميا إلى 1,5 درجة مئوية لتجنب أسوأ عواقب التغير المناخي. هذا بالمقارنة مع درجات الحرارة التي كانت سائدة بين عامي 1850 و1900، قبل انتشار النشاط الصناعي على نطاق واسع.
ارتفعت درجة حرارة الأرض فعليا بدرجة واحدة منذ ذلك التاريخ.
قد لا يبدو هذا الرقم كبيرا، ولكن اذا لم تتخذ دول العالم خطوات من شأنها الحد من ارتفاع درجات الحرارة، فقد يواجه عالمنا "تغييرا كارثيا"، حسبما تقول منظمة IPCC، الهيئة العالمية الرئيسية المعنية بهذه المشكلة.
سترتفع مناسيب مياه البحر، مما سيجبر الملايين على النزوح من المناطق الساحلية المنخفضة. كما سنواجه قدرا أكبر الظواهر المناخية العنيفة كالجفاف وموجات الحرارة والأمطار الغزيرة مما سيعرض قدرتنا على انتاج محاصيل كالرز والشعير والحنطة إلى الخطر.
إذا واصلت درجات الحرارة ارتفعها بالوتيرة الحالية، قد ترتفع درجات الحرارة بمعدل 3 إلى 5 درجات مئوية بحلول نهاية القرن الحالي.
من المتوقع أن يؤدي التغير المناخي إلى وقوع أعاصير أكثر شدة من شأنها إسقاط كميات أكبر من المياه. كما يتسبب في ارتفاع مستوى سطح البحر. وبسبب موقعها على ساحل البحر، وطول ساحلها البالغ نحو 1500 كيلومترا، فنيويورك معرضة جدا لتأثيرات التغير المناخي.
وتتنبأ وكالة الطوارئ الأمريكية بأن ربع المدينة - وهي منطقة يسكنها نحو مليون نسمة - سيكون معرضا للفيضان بحلول منتصف القرن الحالي.
تعد نيويورك واحدة من أكبر المدن في العالم، إذ يزيد عدد سكانها على 8 ملايين نسمة. ولكن نيويورك معرضة للفيضانات الساحلية وتدفق أمواج البحر المدمرة كتلك التي صاحبت الإعصار ساندي الذي ضرب المدينة في تشرين الأول / أكتوبر وتشرين الثاني / نوفمبر 2012. فقد تسبب ذلك الإعصار فيضان أنفاق المترو والأنفاق الأخرى المؤدية إلى جزيرة مانهاتان وأدى إلى انقطاع التيار الكهربائي وإلى موت أكثر من 50 شخصا.

Friday, July 5, 2019

भारत में ज़्यादा बच्चों की मौत इन राज्यों में ही क्यों

बिहार में 150 से ज़्यादा बच्चों की मौत के बाद देश की स्वास्थ्य व्यवस्था सवालों के घेरे में है. बच्चों के पैदा होने और शुरुआती सालों में जीवित रहने के मामले में भारत दुनिया का सबसे बदतर देश है.
अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका लैंसेट साल 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक़ पाँच साल से कम उम्र में सबसे ज़्यादा बच्चों की मृत्यु भारत में हुई.
ये पहले से बेहतर है. साल 2000 से भारत में बच्चों की मृत्यु दर घटकर आधी हो गई है पर 2015 में भी ये आँकड़ा बारह लाख था.
बारह लाख में से आधी मौतें तीन राज्यों में हुईं- उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश. इसकी वजह वहां बसी ज़्यादा आबादी हो सकती है. पर ये क्षेत्रीय स्तर पर भिन्नता को भी दर्शाता है.
साल 2015 में पैदा हुए हर 1,000 बच्चों के लिए मध्य प्रदेश में 62 का मौत हो गई जबकि ये आंकड़ा केरल में सिर्फ़ नौ था. देश में पाँच साल के बच्चों तक की मृत्यु दर का औसत 43 रहा.
कम प्रति व्यक्ति आय वाले प्रदेश जैसे असम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान अन्य बदतर राज्य थे. ज़्यादा आय वाले तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब और पश्चिम बंगाल में बच्चों की मृत्यु दर कम थी.
केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मानव विकास से जुड़े मूलभूत ढांचों में निवेश का लंबा इतिहास रहा है.
प्रोफ़ेसर दिलीप मावलंकर इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक हेल्थ (गांधीनगर) के निदेशक हैं और देश में स्वास्थ्य व्यवस्था पर शोध, ट्रेनिंग और बहस का हिस्सा रहे हैं.
वो कहते हैं, "कृषि सुधार, महिला सशक्तीकरण, शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अस्पतालों की बढ़ती संख्या, स्वास्थ्य क्षेत्र और टीकाकरण में निवेश केरल को इस स्तर पर ले आए हैं."
इस सबके अलावा, प्रोफ़ेसर मावलंकर का दावा है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे ज़्यादा आबादी वाले राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था को संचालित करना चुनौती भरा है.
इन राज्यों में कई इलाक़ों में सड़कों की हालत बदतर है. कई गांवों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों तक पहुंचना मुश्किल है जिससे उपचार में देरी हो जाती है.
स्वास्थ्य मंत्रालय मानता है कि "संचालन में दिक्क़तें हैं" और इन राज्यों की "कमज़ोर स्वास्थ्य व्यवस्था बच्चों के पैदा होने के व़क्त ज़रूरी सुविधाओं पर असर डालती है".

Tuesday, July 2, 2019

印度尝试将海洋塑料用于修路

印度奎隆萨提库兰迦拉港的凌晨一片繁忙景象,与喀拉拉邦沿海其他地方毫无二致。成千上万吨的鱼从无数条渔船上被卸下、分拣、清洗、拍卖。但这里也有一件新鲜事,每艘船上除了鱼也卸下船员用渔网打捞到的废弃塑料,这些塑料将与沥青混在一起用来修路。
“圣星”号刚刚拉上来约30公斤废物,船长S·拉古说:“我们在海底看到的情形令人作呕,垃圾正在和鱼争夺生存空间。”
喀拉拉邦全体渔船经营者协会会长彼得·马迪亚斯说,渔民们承诺将作业中产生的废物以及渔网捞到的一切都带回来。
然后这些废弃塑料由“清净大海”(喀拉拉邦政府2017年发起的一项倡议)收集并送到一座特别设施进行清理和粉碎。“清净使命”是喀拉拉邦的废物管理旗舰计划,半年来一直为这个海洋垃圾清洁回收项目提供垃圾粉碎机及运行成本的财力支持截至2月下旬,已经有16吨塑料被粉碎,145公斤塑料瓶被压制成捆。尽管这一计划进展顺利,但未来却存在很大变数,主要是因为缺少资金以及市场机会有限。
越来越多的道路工程承包商不愿使用废弃材料,理由是熔化以及和筑路材料混合时的技术困难,该计划的协调员苏哈卡兰介绍说。“我们必须考虑通过其他方式对粉碎的塑料进行再利用。”南印度城市金奈进行了一系列试点项目之后,印度的很多城市和乡村都开始用回收的废塑料来修路。这需要将沥青与约8%的废塑料混合。
“清洁喀拉拉”(CKS)公司负责筑路用粉碎塑料的收集和配送。迄今该邦已经用15吨塑料颗粒修了约9公里的路,大多是村子里较短的岔路。平均每公里需要1.7吨废塑料。
支持者们称用废塑料修的路对灼热的耐受性更强,但环境保护者们则对这种用途提出质疑。他们指出,塑料熔化时会释放毒性很强的戴奥辛,土壤(尤其是工程质量很差的道路)中微塑料的浸出和生物累积风险也很高。
全球反垃圾焚烧联盟的达米什·沙说:“在这方面的研究还很欠缺,因此在大规模采用此类技术之前保持谨慎才明智。”
用塑料修路可能也不经济。“印度道路大会”(IRC)的指南
非政府组织塔纳尔(Thanar)的希布·奈尔在差不多20年前就在喀拉拉邦带头发起了零废物运动。他说:“塑料修路不是解决之道,你只是把废塑料隐藏起来了一段时间,却把全部道路都变成了毒地。”
他说,无论是港口工程部还是渔业部都没有一个针对环境管理和保护的明确制度机制。“这正是为什么说该计划是权宜之计的原因,我们不能把那些渔民和妇女交给市场。”
彼得·马迪亚斯说:“如果塑料修路未来会成为环境问题,那我们必须找到另一个解决办法。我们的渔民正在承担清理作业,我们亟需新鲜点子和资金注入让这个计划焕然一新。”
如果不能给打捞上来的废塑料找到资金和新市场,奎隆这个先锋计划的命运以及向其他港口推广的目标都将变得岌岌可危据喀拉拉“清净使命”项目估计,该邦每天产生的废弃塑料有480吨。其中一些进入河流和其他水体,最终流入大海。
联合国环境规划署的一项研究发现,2014年全球生产出3.11亿吨塑料,并估计2010年有480万到1270万吨塑料进入海洋。阳光将这些塑料分解成大家所知的微塑料,会被水生生物和海鸟误食。摄入这些塑料会损伤它们的内脏。受到海洋塑料垃圾影响的鸟类、海龟、鱼类和其他物种不计其数
希布·奈尔说:“即便全球所有的禁塑令都落实到位,我们也有千百万吨的历史遗留废物需要安全、永久地处理掉。不幸的是,目前所有的实践,包括管理不力的填埋、垃圾焚烧发电、再生塑料颗粒、塑料修路等都失败了,而且造成的损害比助益更大。”
为了永远终止塑料污染的循环,回收业正在做着各种努力:海洋塑料垃圾的升级回收,微塑料的预防和拦截,用新模式消除对特定种类塑料制品的需求(例如将玉米淀粉和麻类作为包装材料)。
“清净大海”在奎隆港口的一位工作人员希尼·S说:“我们希望下一代能彻底禁绝塑料,并找到一个新的替代物。而现在,我们请求人们不要再这么肆无忌惮地使用和丢弃塑料。”
中只推荐将低密度聚乙烯(LDPE)、高密度聚乙烯(HDPE)、PET和聚氨酯用于道路建设,然而将这些塑料从几种聚合物的混合中分离出来却成本高昂
奎隆地方政府港口工程部的助理工程师阿比拉什·皮莱说:“我们必须清理海洋,必须找到解决垃圾的办法。截至目前用塑料修路是唯一可用的选择。无论海里还是陆上都有不计其数的废弃塑料。我们面临的任务艰巨,事态紧急。”

Tuesday, June 25, 2019

जब निक्सन ने इंदिरा गाँधी को कराया 45 मिनट इंतज़ार: विवेचना

महाराज कृष्ण रस्गोत्रा 94 साल के हैं. लेकिन उनकी याददाश्त अभी भी हाथी की तरह है. पिछले 75 साल की सभी घटनाएं उनके अंतरमन में इस तरह गुथी हुई हैं, जैसे वो अभी कल की बात हो.
कुछ मामलों में रस्गोत्रा भाग्यशाली भी रहे हैं, वर्ना किसको इतनी नज़दीक से जवाहरलाल नेहरू, जॉन एफ़ केनेडी, इंदिरा गाँधी और मारग्रेट थैचर जैसी हस्तियों को देखने का मौका मिला है.
1949 में भारतीय विदेश सेवा में आए रस्गोत्रा की शुरुआती पोस्टिंग थी 'असिस्टेंट चीफ़ ऑफ़ प्रोटोकॉल' के तौर पर.
उस ज़माने में कनाडा के एक मंत्री क्लेरेंस रो भारत आए थे. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उन्हें अपने साथ पंडित ओंकारनाथ ठाकुर का शास्त्रीय गायन सुनवाने आकाशवाणी के सभागार ले गए.
महाराज रस्गोत्रा बताते हैं, 'पंडितजी ने ही सलाह दी थी कि इनको भारतीय शास्त्रीय संगीत से कुछ रूबरू कराया जाए. उस ज़माने में ऑल इंडिया रेडियो में एक छोटा सा हॉल हुआ करता था. वो उन्हें वहाँ ले गए. पंडितजी और वो कनाडियन मंत्री पहली कतार में बैठे थे. मैं उनके ठीक पीछे बैठा हुआ था.'
'ओंकारजी ने गाना शुरू किया. पंडितजी उनकी समझा रहे थे कि ये आलाप है. इसका क्या मतलब होता है? ये राग किस समय का है. इसका नाम क्या है, वगैरह, वगैरह. ठाकुरजी अपने आलाप में लगे हुए थे. नेहरू चूंकि पहली कतार में बैठे हुए थे, इनकी आवाज़ ठाकुरजी तक पहुंची और वो 'डिस्टर्ब' हो गए. उन्होंने साजिंदो को अचानक इशारा किया और गाना बंद कर दिया.'
'पंडितजी ने ओंकारनाथ ठाकुर से पूछा, 'पंडितजी आपने गाना बंद क्यों कर दिया?' उन्होंने बहुत तपाक से मुस्करा कर कहा, 'पहले आप अपनी बातचीत ख़त्म कर लीजिए, तो मैं गाऊँ.' पंडितजी का 'रिएक्शन' देखने लायक था. लेकिन उन्होंने कहा 'पंडितजी माफ़ कीजिएगा. मैं इन साहब को बता रहा था कि आप क्या गा रहे हैं. अब मैं चुप रहूंगा. आप गाना शुरू कीजिए.'
कवि हरिवंशराय बच्चन की रस्गोत्रा से गहरी दोस्ती थी.
1955 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में गर्मियों की छुट्टियाँ हुईं तो उन्होंने बच्चन को सपरिवार काठमांडु आमंत्रित किया जहाँ उन दिनों वो भारतीय दूतावास में सेकेंड सेक्रेट्री के तौर पर तैनात थे.
इस यात्रा के दौरान हरिवंशराय बच्चन ने कई कवि सम्मेलनों में भाग लिया.
रस्गोत्रा याद करते हैं, ' मेरे घर में उनकी रात- रात भर बैठकें होती थीं. कभी कभी कविताएं सुनाते सुनाते रात के एक - दो बज जाया करते थे. एक बार उन्होंने अपनी 'निशा निमंत्रण' का पाठ रात साढ़े नौ बजे शुरू किया. उसमें करीब सौ कविताएं हैं. सभी उन्होंने पढ़ीं. अमिताभ और अजिताभ तो छोटे छोटे बच्चे थे. इनको हम खिलाया और घुमाया करते थे. तेजी तो कमाल की औरत थी. क्या उनकी आवाज़ थी. बच्चनजी की रचनाएं वो अपनी आवाज़ में सुनाया करती थीं.'
उसी बैठक में रस्गोत्रा उस दृश्य के गवाह बने जिसकी आज के युग में कल्पना भी नहीं की जा सकती.
हुआ ये कि जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हेरल्ड मैकमिलन अपने भाषण में सोवियत संघ पर कटाक्ष कर रहे थे तो ख्रुश्चेव ने अपना जूता उतार कर मेज़ पर तीन या चार बार बजाया.
महाराज कृष्ण रस्गोत्रा बताते हैं, "एक दिन मैकमिलन को बोलना था. वो नाटकीयता में यकीन रखते थे. ब्रिटिश संसद में भी मैंने उनको देखा हुआ था. अगने दिन वही थियेटर उस शख़्स ने संयुक्त राष्ट्र में भी किया. बात बात पर वो मास्को और ख़्रुश्चेव पर ताना कस रहे थे और उन्हें हिदायत दे रहे थे कि बर्लिन में कोई ग़लत बात मत करना. उसके नतीजे बहुत ख़राब निकलेंगे. ख़्रुश्चेव बेचारा बैठा सुन रहा था. उसको गुस्सा आ गय़ा. उसने अपना जूता निकाल कर ठक, ठक, ठक अपनी मेज़ पर मारा. वो कम्यूनिस्ट कार्यकर्ता था. अपने काम की वजह से धीरे धीरे लीडरशिप के रोल में आया था. उसने अपना गुस्सा दिखा दिया, लेकिन वहाँ मौजूद सभी लोग ये देख कर हक्का-बक्का रह गए."

Monday, June 10, 2019

رابعة واللؤلؤة والقيادة العامة اعتصامات فُضّت بعنف

مع انطلاق ربيع الثورات العربية في الأشهر الأولى من عام 2010 والذي شمل البحرين واليمن وسوريا ومصر وتونس وليبيا وأخيراً الجزائر والسودان، لجأ المتظاهرون إلى أساليب وأشكال مختلفة من الاحتجاجات والأنشطة لتحقيق مطالبهم. كان على رأس تلك الأساليب اللجوء إلى تكتيك الاعتصام الدائم في الساحات العامة أو المركزية والتجمع بأعداد كبيرة مع وجود تغطية إعلامية دائمة لما يجري على أمل أن يجبر ذلك السلطات على التردد في فض الاعتصامات.
بعض الاعتصامات لم تدم سوى ساعات إذ لم تتهاون معها السلطات وفضتها بالقوة موقعة الكثير من الضحايا وبعضها الآخر استمر لأسابيع لكنها انتهت بكلفة عالية من حيث عدد الضحايا تلتها تغيرات سياسية واسعة.
تم فض إعتصام دوار اللؤلؤة في العاصمة البحرينية المنامة بالقوة في 16 فبراير/شباط 2011. والأسم الرسمي للدوار كان دوار مجلس التعاون الخليجي. وقتل أربعة اشخاص في عملية فض الاعتصام وأصيب أكثر من مئتي شخص.
وانطلقت الاحتجاجات في البحرين في 14 فبراير/ شباط 2011 بزعامة قيادات من الغالبية الشيعية للمطالبة بالاصلاح السياسي، وأقام آلاف المتظاهرين الخيم والمتاريس في الدوار مع انطلاق موجة الاحتجاجات.
وأقام المتظاهرون ما يشبه مخيما دائما في الدوار ومنعوا حركة السير فيه استعداداً لاعتصام طويل الأمد فيما يبدو.
وكان ثلاثة أشخاص بينهم مدنيان قد قتلوا كما أصيب حوالي 200 آخرين قبل يوم في أعمال عنف بين المتظاهرين وقوات الامن. وتزامن ذلك مع الإعلان عن فرض حالة الطوارئ لمدة ثلاثة أشهر ووصول قوات سعودية وإماراتية إلى هناك.
وبعد فض الاعتصام جرفت السلطات النصب الذي كان موجودا في الدوار وأزالته بشكل نهائي.
واقيم في الدوار عام 1881 نصب عبارة عن ستة أعمدة تمثل دول مجلس التعاون الخليجي الست وتعتليها لؤلؤة ترمز للبحرين التي ارتبطت بالبحر واستخراج اللؤلو وتجارته.
في 3 يوليو/تموز قام الجيش المصري بعزل محمد مرسي، أول رئيس مصري مدني منتخب، وهو قيادي بجماعة الإخوان المسلمين، في أعقاب احتجاجات شعبية ضد حكم الجماعة. وطالب المتظاهرون بإجراء إنتخابات رئاسية مبكرة.
وعلى مدار الشهرين التاليين نظم مؤيدو الإخوان المسلمين احتجاجات ومظاهرات تندد باستيلاء الجيش على السلطة والمطالبة بعودة مرسي إلى الحكم.
في 14 أغسطس/آب 2013 فضت قوات الأمن الاعتصام الكبير لمؤيدي مرسي في منطقة رابعة العدوية بحي مدينة نصر شرقي القاهرة.
قوات الأمن تفض اعتصامي انصار مرسي
وقد استخدم أفراد الشرطة والجيش خلال العملية ناقلات الجنود المدرعة، والجرافات، وقوات برية وقناصة في بالهجوم على موقع الاعتصام حيث كان متظاهرون، وبينهم سيدات وأطفال، قد خيموا لما يزيد عن 45 يوماً.
قتل في العملية التي بدأت في وقت مبكر من الصباح وانتهت مساءً ما لا يقل عن 817 شخصاً حسب تقرير لمنظمة هيومان رايتس ووتش.
وقالت الحكومة المصرية إن بعض المتظاهرين استخدموا السلاح ضد قوات الأمن، مما أدى الى مقتل عدد من أفرادها.
ومثّل فض الاعتصام بداية مواجهة بين الجيش وجماعة الاخوان المسلمين فقد تم حظر الجماعة وتصنيفها في خانة المنظمات الإرهابية وتم الزج بآلاف من أنصار واعضاء الجماعة في السجن.
في 3 يونيو/ حزيران 2019 أقتحمت قوات الأمن السودانية ساحة الاعتصام التي أقامها المحتجون أمام مقر القيادة العامة للجيش منذ عدة أسابيع و قتل خلال العملية نحو مئة شخص وأصيب المئات وجرت اعتقالات واسعة وسط تنديد دولي.
وكانت المفاوضات بين قوى المعارضة والمجلس العسكري الانتقالي قد وصلت إلى طريق مسدود بعد أسابيع من اللقاءات والمباحثات التي لم تثمر عن نتيجة، إذ بقيت نقطتا الخلاف حول رئاسة المجلس السيادي الذي سيحكم السودان خلال المرحلة الانتقالية التي تم الاتفاق على أن تقتصر على ثلاث سنوات بين الطرفين وكذلك حول تركيبة المجلس.
وألغى المجلس العسكري كل الاتفاقات السابقة مع تحالف المعارضة ودعا إلى إجراء انتخابات مبكرة خلال تسعة أشهر عقب فض الاعتصام.
أما تحالف قوى المعارضة المتمثل بقوى الحرية والتغيير فأعلن عن وقف جميع الاتصالات مع المجلس، والدعوة إلى إضراب عام وعصيان مدني.
مظاهرات السودان: من هو حميدتي؟