Friday, July 5, 2019

भारत में ज़्यादा बच्चों की मौत इन राज्यों में ही क्यों

बिहार में 150 से ज़्यादा बच्चों की मौत के बाद देश की स्वास्थ्य व्यवस्था सवालों के घेरे में है. बच्चों के पैदा होने और शुरुआती सालों में जीवित रहने के मामले में भारत दुनिया का सबसे बदतर देश है.
अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका लैंसेट साल 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक़ पाँच साल से कम उम्र में सबसे ज़्यादा बच्चों की मृत्यु भारत में हुई.
ये पहले से बेहतर है. साल 2000 से भारत में बच्चों की मृत्यु दर घटकर आधी हो गई है पर 2015 में भी ये आँकड़ा बारह लाख था.
बारह लाख में से आधी मौतें तीन राज्यों में हुईं- उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश. इसकी वजह वहां बसी ज़्यादा आबादी हो सकती है. पर ये क्षेत्रीय स्तर पर भिन्नता को भी दर्शाता है.
साल 2015 में पैदा हुए हर 1,000 बच्चों के लिए मध्य प्रदेश में 62 का मौत हो गई जबकि ये आंकड़ा केरल में सिर्फ़ नौ था. देश में पाँच साल के बच्चों तक की मृत्यु दर का औसत 43 रहा.
कम प्रति व्यक्ति आय वाले प्रदेश जैसे असम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान अन्य बदतर राज्य थे. ज़्यादा आय वाले तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब और पश्चिम बंगाल में बच्चों की मृत्यु दर कम थी.
केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मानव विकास से जुड़े मूलभूत ढांचों में निवेश का लंबा इतिहास रहा है.
प्रोफ़ेसर दिलीप मावलंकर इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक हेल्थ (गांधीनगर) के निदेशक हैं और देश में स्वास्थ्य व्यवस्था पर शोध, ट्रेनिंग और बहस का हिस्सा रहे हैं.
वो कहते हैं, "कृषि सुधार, महिला सशक्तीकरण, शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अस्पतालों की बढ़ती संख्या, स्वास्थ्य क्षेत्र और टीकाकरण में निवेश केरल को इस स्तर पर ले आए हैं."
इस सबके अलावा, प्रोफ़ेसर मावलंकर का दावा है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे ज़्यादा आबादी वाले राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था को संचालित करना चुनौती भरा है.
इन राज्यों में कई इलाक़ों में सड़कों की हालत बदतर है. कई गांवों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों तक पहुंचना मुश्किल है जिससे उपचार में देरी हो जाती है.
स्वास्थ्य मंत्रालय मानता है कि "संचालन में दिक्क़तें हैं" और इन राज्यों की "कमज़ोर स्वास्थ्य व्यवस्था बच्चों के पैदा होने के व़क्त ज़रूरी सुविधाओं पर असर डालती है".

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