Friday, November 16, 2018

مقتل جمال خاشقجي: الاستخبارات الكندية "استمعت لتسجيلات" بشأن مقتل الصحفي

اطلعت الاستخبارات الكندية على تسجيلات صوتية بشأن مقتل الصحفي السعودي جمال خاشقجي، حسبما قال رئيس الوزراء الكندي جاستن ترودو.
وأضاف ترودو "اطلعت كندا بصورة كلية على ما لدى تركيا من معلومات شاركتها معنا".
وترودو أول زعيم غربي يؤكد أن بلاده استمعت إلى التسجيلات التي تحدثت تركيا عنها بعد مقتل الصحفي في القنصلية السعودية في اسطنبول.
وقال الرئيس التركي رجب طيب أردوغان إنه تم تسليم تسجيلات لفرنسا وألمانيا وبريطانيا والولايات المتحدة والسعودية.
لكن وزير الخارجية الفرنسي جون إيف لا دوريان في مقابلة مع قناة "فرانس 2" إنه على حد علمه فإن بلاده لم تحصل على نسخة من التسجيلات.
وعندما سُئل عما إذا كان ذلك يعني أن أردوغان كان يكذب، قال لو دريان "الأمر يعني أنه يلعب لعبة سياسية في هذه الظروف".
وأعربت تركيا عن غضبها إزاء تصريحات وزير الخارجية الفرنسي، ووصفت تصريحات لو دوريان بأنها "غير مقبولة".
وقال فخر الدين ألتون، المدير الإعلامي للرئاسة التركية، "من غير المقبول أن يتهم الرئيس التركي بأنه يلعب لعبة سياسية".
وأضاف "دعونا لا ننسى أن هذه القضية كان سيتم التستر عليها دون الجهود التركية الحثيثة"وقال ترودو في مؤتمر صحفي الاثنين إن "وكالات الاستخبارات الكندية كانت تعمل عن كثب مع الاستخبارات التركية وحصلت على معلومات كاملة عما لدى تركيا من معلومات تود مشاركتها. كما أنني تحدثت إلى أردوغان منذ أسبوعين".
وأضاف "هنا في باريس كانت بيننا محادثة وجيزة وشكرته على قوة تعامله مع قضية خاشقجي".
وأكد ترودو استماع الاستخبارات الكندية إلى التسجيلات، مضيفا أنه لم يستمع إليها شخصيا.
وواجه ترودو مطالبات بإلغاء صفقة سلاح للسعودية تبلغ قيمتها 13 مليار دولار لإنتاج دبابات ومركبات مدرعة قام بتصنيعها الوحدة المقامة في أونتاريو بكندا لشركة جنرال داينامكس الأمريكية.
وقتل خاشقجي، الذي كان من منتقدي بعض سياسات الحكومة السعودية، في قنصلية بلاده باسطنبول الشهر الماضي في عملية يقول أردوغان إنها تمت بأمر من "أعلى المستويات في الحكومة السعودية".
وأثارمقتله غضبا دوليا ولكن لم تتخذ بعد إجراءات ملموسة ضد السعودية، أكبر مصدر للنفط في العالم، والحليف الرئيسي لواشنطن.
وناقش الرئيس الأمريكي دونالد ترامب مع أردوغان كيفية الرد على مقتل خاشقجي، حسبما قال مسؤول في البيت الأبيض.
ودعا وزير الخارجية الأمريكي، مايك بومبيو، السعودية إلى الوفاء بتعهدها، بإجراء تحقيق شامل وواف في ملابسات قتل الصحفي جمال خاشقجي.
وقال بومبيو، في اتصال هاتفي مع ولي العهد السعودي محمد بن سلمان، إن واشنطن ستحاسب كل من تورط في العملية، وإن على السلطات السعودية أن تفعل الأمر نفسه.
واصلت مركبتنا الصعود بين دروب جبال الأطلس الأعلى، وفي الأسفل بدا بريق التربة التي كانت تكسوها بقع خضراء من الغابات، وأخرى بيضاء من الثلج.
بدأت رحلتنا قبل ساعة عند سفح الجبل من مدق قديم كانت تسلكه القوافل التي جابت تلك البقاع في طريقها إلى مراكش منذ قرون مضت عبر الصحراء، حاملة الذهب والعاج والأقمشة من بقاع بعيدة مثل تمبكتو والسودان وغانا، إلى الساحل المغاربي.
واليوم لم تعد القرى التي كانت تصطف بمحاذاة ذلك الدرب المتعرج إلا بقاعا متناثرة يقصدها الزوار للتزود بالطعام والشراب.
توقفت بإحدى تلك القرى، وتدعى "تادرت" صباحا وأنا أمسك بنسخة قديمة من كتاب "قرية البربر: قصة بعثة جامعة أكسفورد لجبال الأطلس الأعلى بالمغرب"، وقد نشر الكتاب عام 1959 وألفه برايان كلارك المشارك بالبعثة، والذي وصف فيه مغامرة مدهشة لخمسة طلاب من جامعة أكسفورد على مدار 17 يوما عام 1955، قبل بلوغ قرية بعيدة تدعى "إديهر".
كان الطلاب قد استقلوا شاحنة عسكرية قديمة وقد رغبوا في دراسة الجغرافيا والبيئة الطبيعية وعادات هذا الركن القصي بأعلى سلاسل جبال العالم العربي.

Friday, October 5, 2018

आज की पांच बड़ी ख़बरें: मेरठ के गांव में विमान से टपके धमाकेदार गोले?

मेरठ से करीब 20 किलोमीटर दूर किठौर के माछरा गांव में बुधवार को अचानक आसमान से गोले गिरने से अफरातफरी का माहौल बन गया.
जनसत्ता में छपी ख़बर के मुताबिक थाना किठौर ने ये जानकारी पुलिस नियंत्रण कक्ष को दी, इसके बाद फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुँची और उन गोलों को कब्जे में लिया.
पुलिस क्षेत्राधिकारी चक्रपाणि त्रिपाठी ने बताया कि इन दिनों हिंडन एयरबेस पर आठ अक्टूबर को वायुसेना दिवस पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए अभ्यास किया जा रहा है. माना जा रहा है कि यह एयरक्राफ्ट इसी अभ्यास का ही हिस्सा रहा होगा.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि पूरे मामले में स्थिति स्पष्ट होने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है.
कुछ ग्रामीणों का कहना है कि इन गोलों की आवाज़ काफ़ी तेज़ थी और एक ग्रामीण के छप्पर में आग भी लगी.
त्रिपुरा में स्वतंत्र देश की मांग कर रहे दो अलगाववादी समूहों पर सरकार ने नए प्रतिबंध लगा दिए हैं.
गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स पर नए प्रतिबंध लगाने की बात कही है.
मंत्रालय का कहना है कि ये समूह सरकार के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं और अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लोगों के बीच डर और हिंसा फैला रहे हैं.
रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंच चुके हैं. गुरुवार को दिल्ली के एयरपोर्ट पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनका स्वागत किया.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वो शुक्रवार को 19वीं द्विपक्षीय वार्षिक शिखर बैठक करेंगे, जिसमें 5 अरब डॉलर के बहुचर्चित S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम पर सौदा संभव है.
हितों के टकराव के आरोपों की जांच में घिरीं आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा से दिया है.
उनका कार्यकाल छह महीने और बचा था. कोचर और उनके परिवार के सदस्यों पर वीडियोकॉन समूह को कथित रूप से परस्पर लाभ पहुंचाने के आधार पर बैंक से लोन मुहैया कराने का आरोप हैं.
कोचर के इस्तीफे के बाद संदीप बख्शी बैंक के नए प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे.
अमरीकी सुप्रीम कोर्ट के लिए नामित जज के ख़िलाफ़ यौन हमले के आरोपों पर आई एफबीआई की रिपोर्ट को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सीनेटर आमने-सामने हैं.
रिपब्लिकन सीनेटर जेफ़ फ़्लेक और सुज़न कॉलिन्स ने कहा कि रिपोर्ट से उनकी चिंता कम हुई है. जबकि कुछ डेमोक्रेट सीनेटरों ने एफबीआई की रिपोर्ट की निंदा की है.
उनमें से एक डेमोक्रेट ने आरोप लगाया कि व्हाइट हाउस ने एफबीआई के हाथ बांध दिए हैं, जिसकी वजह से वह अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही.
भारत के पहले समाचार पत्र की स्थापना साल 1780 में हुई थी. उस समाचार पत्र ने उस वक़्त अंग्रेज़ साम्राज्य को आईना दिखाने के काम किया था. उसने हुकूमत को प्रेस की ताक़त का एहसास करवाया था.
बात हो रही है 'बंगाल गज़ट' की जिसे भारत से प्रकाशित होने वाले पहले अख़बार का दर्ज़ा प्राप्त है. बंगाल गज़ट की शुरुआत जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने की थी.
उस वक़्त इस अखबार ने अपनी ख़बरों से अंग्रेज़ हुकूमत के शीर्ष पर मौजूद कई ताक़तवर लोगों को हिला कर रख दिया था.
अपनी ख़बरों के दम पर बंगाल गज़ट ने कई लोगों के भ्रष्टाचार, घूसकांड और मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर किया था.
अपने इन्हीं दावों में से एक दावे में बंगाल गज़ट ने उस वक़्त भारत के गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स पर आरोप लगाया था कि उन्होंने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस को घूस दी है.
इस अख़बार में भारत के ग़रीबों का ज़िक्र किया जाता था. उन सैनिकों की ख़बरें प्रकाशित की जाती थीं जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से युद्ध में लड़ते हुए मारे गए.
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के लगभग समूचे हिस्से पर अपनी सत्ता फैला ली थी, इसके साथ ही कंपनी के सैनिक भी सभी जगह तैनात रहते थे.
हालांकि साल 1857 की क्रांति ने अंग्रेज़ों को चौकन्ना ज़रूर कर दिया था. ऐसा भी कहा जाता है कि 1857 की क्रांति के लिए बंगाल गज़ट ने ही भारतीय सैनिकों को विद्रोह के लिए तैयार किया था और हेस्टिंग्स के ख़िलाफ़ जाने के लिए उनके भीतर ज्वाला भरी थी.
बंगाल गज़ट अपनी प्रभावी पत्रकारिता के ज़रिए अंग्रेज सरकार की आंखों में चुभने लगा था, ख़ासतौर पर वॉरेन हेस्टिंग्स इससे सबसे अधिक प्रभावित थे.
इसका नतीज़ा यह हुआ कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल गज़ट के मुकाबले में एक दूसरे प्रतिस्पर्धी अख़बार पर पैसा लगाना शुरू कर दिया. हालांकि वह बंगाल गज़ट की आवाज़ पर रोक नहीं लगा सके.
आखिरकार, जब अखबार में एक अज्ञात लेखक ने यह लिख दिया कि 'सरकार हमारे भले के बारे में नहीं सोच सकती तो हम भी सरकार के लिए काम करने के लिए बाध्य नहीं हैं', तब ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस अख़बार को बंद करने का फ़ैसला सुना दिया.
दूसरी तरफ हेस्टिंग्स ने हिक्की पर परिवाद का मुकदमा दायर कर दिया. हिक्की को दोषी पाया गया और उन्हें जेल जाना पड़ा.
लेकन जेल जाने के बाद भी हिक्की के हौसले पस्त नहीं हुए. वो जेल के भीतर से ही 9 महीनों तक अख़बार निकालते रहे.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को एक विशेष आदेश के ज़रिए उनकी प्रिंटिंग प्रेस को ही सील करवाना पड़ा. इस तरह भारत का पहला समाचार पत्र बंद हो गया.

Tuesday, September 18, 2018

建立全国碳市场亟需企业信息披露

巴黎协定两周年之际,中国宣布了万众瞩目的全国碳交易市场建设方案。即使初期仅纳入电力一个行业,据国家发改委副主任张勇介绍,覆盖30多亿吨碳排放的全国碳市场规模也将远超欧盟。开启全球规模最大的碳市场,是中国落实《巴黎协定》承诺的重要行动,自然为各方瞩目。

但任何市场化环境问题解决方案,都离不开信息的公开。北京大学环境经济学教授张世秋告诉公众环境研究中心( ),从经济学角度看碳排放权是虚拟资产,公开涉及碳排放权交易企业的有关排放、削减以及相关措施等信息,有助于界定和明晰产权,对交易过程进行有效监督,确保其公平、公正和无欺。如此,才能切实产生能够优化资源配置的碳价信息,达到建立碳排放权交易市场的真正目的。

此外,碳排放权涉及到公共利益,属于公共领域问题,理应具备信息公开的机制。

国内碳披露现状欠佳

令人担忧的是,全国碳市场即将启动,而2016年10月国务院公布的《“十三五”控制温室气体排放工作方案》中(在2020年前)“建立温室气体排放信息披露制度”的目标还没有得到落实。

2013年以来陆续启动的七省市碳排放权交易试点,均未推进重点排放单位的碳排放数据和配额分配情况向公众披露。试点运行期出现了价格波动性大、市场价格发现功能发挥受限等问题,碳价走势很难由市场形成预期,这很大程度上与市场缺乏透明度相关。

据 统计,七个试点碳市场的地方性法规或政府规章中关于信息公开的部分,均未涉及交易者的碳排放数据、政府配额分配情况、或是核查机构核查信息的公开。不同试点碳市场的信息公开规则也不一样,大多数仅要求公开控制排放单位的清单以及履约/违约单位清单。

而一些试点碳市场甚至还未能达到这一基本要求,例如重庆就未更新2016年控制排放单位的企业名录。

其他碳市场如何披露数据

国际通行做法来看,交易市场信息的公开对碳交易市场至关重要,是交易机制平稳高效运行的关键。IPE一直在关注碳市场信息公开问题,我们的调研显示,中国目前的温室气体排放信息披露水平与一些市场化控排机制已经成形的国家和地区相比,亟待提高。

在首开市场排污权交易先河的美国二氧化硫交易市场中,电力行业企业SO2排放治理和交易的信息均完全向公众公开,公开排污交易计划的数据可建立人们对该计划的信心。而在国际温室气体排放交易市场上,欧盟从立法层面就做出信息公开的要求,国家和企业层面都公布了配额分配数据。

美国环保署( )则建立了在线查询的排放设施温室气体信息工

具 ( ),以交互式网站形式呈现设施的信息与数据,公众可以生成并下载自定义图表。

建立了碳交易市场的加州也开发了一个污染交互地图工具( )来展示来自大型设备的大气污染物和温室气体排放数据。

和以上这些碳交易市场相比,中国的全国碳市场在信息披露上还有很长的路要走。

中国需更进一步

中国相关政府部门也已经在为碳排放权交易信息公开做着研究和准备。除《“十三五”控制温室气体排放工作方案》外,在即将立法的《碳排放权交易管理条例(送审稿)》中,增加了“信息公开”使之成为专门的一章。在这部尚未定稿的法律中,中国要求参与碳交易的单位公布排放情况。

当前全国碳市场启动在即,我们提议相关主管部门尽快提出对碳市场相关信息披露的强制要求,从最紧迫、法规已有要求、企业已经提交的信息开始。

Tuesday, September 11, 2018

चांदी से सोना कैसे निकला आगे

हला वार्का टावर अफ्रीकी देश इथियोपिया में लगाया गया था. जब वहां कोहरे का सीज़न आया, तो इस मशीन से ख़ूब पानी इकट्ठा किया गया.
लेकिन जब बारिश या कोहरा नहीं था, तब भी हवा में नमी से पानी इकट्ठा हो रहा था.
इस टावर को स्थानीय लोगों ने बांस और दूसरी चीज़ों से मिलाकर बनाया. इसमें ताड़ की पत्तियां भी इस्तेमाल की गई थीं. अब हैती और टोगो में भी ये मशीन लगाई जा रही है. विटोरी कहते हैं कि वार्का टावर में आस-पास मिलने वाली चीज़ों से ही पानी को जमा किया जाता है.
रोलां वाल्ग्रीन कहते हैं कि ऐसी बुनियादी तकनीक उन्हीं जगहों पर कारगर होगी, जहां पर हवा में नमी ख़ूब होगी. लेकिन, दुनिया भर में पानी से महरूम 2.1 अरब लोगों तक साफ़ पानी पहुंचाना है, तो वार्का टावर इसमें ज़्यादा मददगार नहीं होगा.
वहीं विटोरी कहते हैं कि एक वार्का टावर से 50 लोगों को पानी मुहैया कराया जा सकता है. इसे तैयार करने में क़रीब 3 हज़ार डॉलर का ख़र्च आता है. बड़ा यानी 25 मीटर लंबा टावर बनाने का ख़र्च क़रीब 30 हज़ार डॉलर बैठेगा, जो 250 लोगों को पानी की सप्लाई कर सकता है. जब हवा में नमी नहीं होती, तो इस टावर के नीचे स्थित टैंक में पानी नहीं जमा होता.
इसके मुक़ाबले केमिकल स्पंज वाले डेसिकेंट और रेफ्रिजरेटर की तरह काम करने वाली मशीनों से लगातार पानी जमा होता रहता है. हां, इन्हें चलाने के लिए बिजली की ज़रूरत पड़ेगी.
वैसे तकनीक की दुनिया लगातार बदलती रहती है. कौन जाने, आगे चलकर कोई नई तकनीक ईजाद की जाए. ऐसी मशीन बनाने के लिए अंतरराष्ट्री एक्सप्राइज़ इनोवेशन मुक़ाबले ने 17.5 लाख डॉलर का इनाम भी रखा है.
लोगों के ज़हन में ये सवाल भी है कि कहीं हवा से पानी सोखने से धरती के वाटर साइकिल पर तो असर नहीं पड़ेगा?
कहीं बादल बनने की प्रक्रिया पर तो असर नहीं होगा?
प्रोफ़ेसर कोडी फ्रीसेन इन सवालों को हंसी में उड़ा देते हैं. वो कहते हैं कि अगर धरती पर हर इंसान के पास हवा से पानी निकालने वाली मशीन हो, तो भी हम ट्रैफिक के धुएं में मौजूद पूरा पानी नहीं निकाल सकेंगे.
भले ही हवा से पानी सोखने के ये नुस्खे अभी अजीब लग रहे हों, मगर जिस तरह से ज़मीन के भीतर मौजूद पानी का स्तर घट रहा है, उस स्थितिमें हमें बहुत जल्द पीने के पानी के नए स्रोत की ज़रूरत होगी. ऐसे में डब्ल्यू एफ ए जैसी तकनीक में उम्मीद नज़र आती है.
हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती, लेकिन वो क्या वजह रही होगी कि प्राचीन काल में सोने और चांदी को मुद्रा के रूप में चुना गया होगा?
ये महंगे ज़रूर हैं लेकिन बहुत सारी चीज़ें इनसे भी महंगी हैं. फिर इन्हें ही संपन्नता और उत्कृष्टता मापने का पैमाना क्यों माना गया?
बीबीसी इन सवालों के जवाब तलाशते हुए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के आंद्रिया सेला के पास पहुंचा. आंद्रिया इनऑर्गेनिक केमेस्ट्री के प्रोफ़ेसर हैं.
उनके हाथ में एक पीरियॉडिक टेबल था. आंद्रिया सबसे अंत से शुरू करते हैं.किन एक परेशानी भी है कि ये नोबल गैस समूह के होते हैं. ये गैस गंधहीन और रंगहीन होती हैं, जिनकी रासायनिक प्रतिक्रिया की क्षमता कम होती है.
यही कारण है कि इन्हें मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाना आसान नहीं होता. क्योंकि इन्हें लेकर घूमना एक चुनौती होगा.
चूंकि ये रंगहीन होते हैं, इसलिए इसे पहचानना भी मुश्किल होता और ग़लती से इनका कंटेनर खुल जाए तो आपकी कमाई हवा हो जाती.
इमेज कॉपीरइट Getty Images इस श्रेणी में मरकरी और ब्रोमीन तो हैं पर वे लिक्विड स्टेट में हैं और ज़हरीले होते हैं. दरअसल सभी मेटलॉइड्स या तो बहुत मुलायम होते हैं या फिर ज़हरीले.
पीरियॉडिक टेबल गैस, लिक्विड और ज़हरीले रासायनिक तत्वों के बिना कुछ ऐसा दिखेगा.
ऊपर के टेबल में सभी नॉन-मेटल तत्व भी ग़ायब हैं, जो गैस और लिक्विड तत्व के आसपास थे. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन नॉन-मेटल को न तो फैलाया जा सकता है और न ही सिक्के का रूप दिया जा सकता है.
ये दूसरे मेटल के मुक़ाबले मुलायम भी नहीं होते हैं, इसलिए ये मुद्रा बनने की दौड़ में पीछे रह गए.
सेला ने अब हमारा ध्यान पीरियोडिक टेबल की बाईं ओर खींचा. ये सभी रासायनिक तत्व ऑरेंज कलर के घेरे में थे.
ये सभी मेटल हैं. इन्हें मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है पर परेशानी यह है कि इनकी रासायनिक प्रतिक्रिया क्षमता बहुत ज़्यादा होती है.
लिथियम जैसे मेटल इतने प्रतिक्रियाशील होते हैं कि जैसे ही ये हवा के संपर्क मे आते हैं, आग लग जाती है. अन्य दूसरे खुरदरे और आसानी से नष्ट होने वाले हैं.
इसलिए ये ऐसे नहीं हैं, जिसे आप अपनी जेबों में लेकर घूम सकें.
इसके आसपास के रासायनिक तत्व प्रतिक्रियाशील होने की वजह से इसे मुद्रा बनाया जाना मुश्किल है. वहीं, एल्कलाइन यानी क्षारीय तत्व आसानी से कहीं भी पाए जा सकते हैं.
अगर इसे मुद्रा बनाया जाए तो कोई भी इसे तैयार कर सकता है. अब बात करें पीरियॉडिक टेबल के रेडियोएक्टिव तत्वों की तो इन्हें रखने पर नुक़सान हो सकता है.
ऊपर की तस्वीर में बचे रासायनिक तत्वों की बात करें तो ये रखने के हिसाब से सुरक्षित तो हैं लेकिन ये इतनी मात्रा में पाए जाते हैं कि इसका सिक्का बनाना आसान हो जाएगा, जैसे कि लोहे के सिक्के.
मुद्रा के रूप में उस रासायनिक तत्व का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जो आसानी से नहीं मिलते हों.
अब अंत में पांच तत्व बचते हैं जो बहुत मुश्किल से मिलते हैं. सोना(Au), चांदी( ), प्लैटिनम(Pt), रोडियम(Rh) और पलेडियम(Pd).
ये सभी तत्व क़ीमती होते हैं. इन सभी में रोडियम और प्लेडियम को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता था लेकिन इनकी खोज उन्नीसवीं शताब्दी में की गई थी, जिसकी वजह से प्राचीन काल में इनका इस्तेमाल नहीं किया गया था.
तब प्लैटिनम का इस्तेमाल किया जाता था पर लेकिन इसे गलाने में तापमान को 1768 डिग्री तक ले जाना होता है. इस वजह से मुद्रा की लड़ाई में सोने और चांदी की जीत हुई.
चांदी का इस्तेमाल सिक्के के रूप में तो हुआ पर परेशानी यह थी कि ये हवा में मौजूद सल्फर से प्रतिक्रिया कर कुछ काली पड़ जाती है.
चांदी की तुलना में सोना आसानी से नहीं मिलता है और यह काला भी नहीं पड़ता.
सोना ऐसा तत्व है जो आर्द्र हवा में हरा नहीं होती है. सेला कहते हैं कि यही वजह है मुद्रा की दौड़ में सोना सबसे आगे और अव्वल रहा.
वो कहते हैं कि यही वजह है कि हज़ारों सालों के प्रयोग और कई सभ्यताओं ने सोने को मुद्रा के रूप में चुना.

Thursday, September 6, 2018

2+2 वार्ता: सुषमा ने कहा- बातचीत से भारत-अमेरिका के रिश्ते मजबूत होंगे, पॉम्पियो बोले- दोनों दे

ई दिल्ली.   भारत-अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता गुरुवार को हुई। बातचीत में भारत की तरफ से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हुईं। अमेरिका की तरफ से माइक पॉम्पियो और जेम्स मैटिस ने हिस्सा लिया। सुषमा ने कहा कि इस बातचीत से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दोनों देशों के भविष्य के रिश्तों के दिशा-निर्देश तय कर चुके हैं।
माइक पॉम्पियो ने कहा कि हमें समुद्र, आकाश में आने-जाने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही सामुद्रिक विवादों का शांतिपूर्ण तरीके से हल ढूंढा जाना चाहिए। दोनों देश एक-दूसरे की बाजार आधारित अर्थव्यवस्था और गुड गवर्नेंस को आगे बढ़ाएंगे। अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली बाहरी ताकतों से रक्षा की जाएगी। दोनों देश लोकतंत्र, व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान और आजादी दिए जाने में भरोसा रखते हैं। भारत पहुंचने से पहले पोम्पियो ने कहा- वार्ता में भारत और रूस मिसाइल सौदे और ईरान से तेल आयात करने पर बातचीत हो सकती है, लेकिन इस पर जोर नहीं रहेगा।
अमेरिका-भारत की बैठक साल में दो बार होना तय :  जून 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच व्हाइट हाउस में मुलाकात हुई थी। तब तय किया था कि द्विपक्षीय सहयोग के तहत रक्षा तकनीक और व्यापारिक पहल के मुद्दों पर बात करने के लिए दोनों देश हर साल दो बार बैठक करेंगे। इसके तहत पहली 2+2 वार्ता 6 सितंबर को हो रही है। इससे पहले अप्रैल और जुलाई में यह वार्ता टाल दी गई थी।
ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद दो बड़े रक्षा समझौते
जून 2018 : अमेरिका ने भारत को छह अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर (एएच-64ई) बेचने की मंजूरी दी। इनकी कीमत करीब 6340 करोड़ रुपए है। यह हेलीकॉप्टर अपने आगे लगे सेंसर की मदद से रात में उड़ान भर सकता है।
मार्च 2018 : भारत ने अमेरिका से 20 साल तक एलएनजी खरीदने का समझौता किया। पहले चरण में 90 लाख टन एलएनजी खरीदी जाएगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था को गैस आधारित बनाने में मदद मिलेगी।शिंगटन. पाकिस्तान तेजी से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। अभी उसके पास 140 से 150 परमाणु हथियार और भंडार हैं।  2025 तक यह आकंड़ा 220 से 250 तक पहुंचने का अनुमान है। इस तरह वह दुनिया में इस मामले में पांचवीं बड़ी ताकत बन सकता है। अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (एफएएस) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
इस रिपोर्ट पर काम करने वाले हंस एम क्रिस्टनसेन, रॉबर्ट एस नोरिस और जुलिया डायमंड ने कहा कि करीब 10 साल में पाकिस्तान 350 परमाणु हथियारों के साथ दुनिया में तीसरी बड़ी एटमी ताकत बन सकता है।
इसलिए भरोसेमंद हैं यह रिपोर्ट : यह रिपोर्ट सालाना जारी होती है। इस पर भरोसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसमें उन तमाम स्रोतों का भी आकलन किया जाता है जिसके आधार पर अनुमान लगाया गया। इसमें पाकिस्तान के सैन्य अड्डों और एयरफोर्स के ठिकानों के अध्ययन के आधार पर कहा गया है कि वहां लगातार परमाणु हथियारों का भंडार बढ़ाने की तैयारियां चल रही हैं।
कम दूरी की मिसाइलें बना रहा पाक : रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों से लैस कम दूरी की मिसाइलों के विकास पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि वह सिर्फ भारत के साथ परमाणु युद्ध की तैयारी कर रहा है। दिल्ली.   आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद बंद कर दे तो हम (भारत) भी नीरज चोपड़ा जैसे बन जाएंगे। हाल ही में इंडोनेशिया में हुए एशियाई खेलों में नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता था। वहीं, चीन के किझेन लियू को सिल्वर और पाकिस्तान के अरशद नदीम को कांस्य पदक मिला था। पोडियम पर नीरज ने अशरद और लियू से हाथ मिलाया था। अरशद से हाथ मिलाने की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। श्मीर में कार्रवाई कर रही सेना : रावत ने कहा कि जिस तरह से मीडिया में आतंकवाद बढ़ने के आंकड़े आते हैं, मैं इससे सहमत नहीं हूं। अगर कश्मीर में स्थानीय युवा हथियार उठा रहे हैं, उन्हें सुरक्षाबल या तो मार गिरा रहे हैं या उन्हें  गिरफ्तार कर लिया जाता है या वे आत्मसमर्पण कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सेना इस तरह की कार्रवाई लगातार करेगी लेकिन मैं ये भी विश्वास के साथ कह सकता हूं कि युवाओं द्वारा चुना गया यह रास्ता (आतंकवाद का) सही नहीं है। मैं कई बार देख चुका हूं कि मां ने अपने बेटे से लौटने की अपील की। अगर हमारी कार्रवाई जारी रही तो हम आतंकवाद की समस्या को हल कर देंगे। धीरे-धीरे आतंक की ओर मुड़े युवा भी अपने घर लौट आएंगे।

Wednesday, August 29, 2018

中国合并多种规划以避免彼此冲突

中国四部委近日发布了联合通知,提出在全国开展28个县市开展“多规合一”试点。试点在较为发达的东部、欠发达中西部都有分布。

中科院南京地理与湖泊研究所陈雯博士说,当前这份《关于开展市县“多规合一”试点工作的通知》,是指将多个规划协调统一,绘制在一个可以明确边界的市域蓝图上,以解决当前各类规划内容冲突、难以衔接、编制体系不清晰等问题。目前试点合一的规划包括:发改委的”国民经济和社会发展规划”、国土资源部的“土地利用规划”、住建部的“城乡规划”,以及环保部的“生态环境保护规划”。

同济大学城市规划设计院的王新哲副院长认为,如果能够实施,这种措施将有利于西部地区在土地利用、环境保护上的良性发展。

在11月21日北京一个关于多规合一的讨论会上,王新哲讲到宁夏盐池县的例子:盐城县有8%的国民经济和社会发展规划区域做了城乡规划、没有做土地利用规划,12%的区域有土地利用规划没有城乡规划,6%的区域二者都有,而剩下74%的区域二者都没有。

王新哲对中外对话说,一些地区正是利用规划之间在空间上、时间上的差异做文章。土地规划不让做的事情,城乡规划可能让做;环境规划不让做的事情,发展规划可能让做,地区就利用这些规划的空子上马项目,大大削弱了规划的作用。“如果多规合一能够顺利实施,可以避免西部无序扩张等问题。”他说。

环境规划院院长王金南从环境的角度说起合一的必要性:“(规划图)以前像是一张白纸,随便画,没有生态容量的限制。现在不一样了,生态容量,生态空间都已经压缩了,所以规划中必须要考量。”

但是,王新哲也对中外对话说起“合一”的难处:“多规合一目前只是一个协调机制,没有强制的执行力。”他分析说,东部已经过了无序扩张的发展阶段,需要对内部进行优化的规划,而西部尚没有发展起来,且规划管理不严格,所以,“目前多规合一对东部而言,是一个自发执行的一个阶段,但是对于西部而言,则是被动的过程。”

王金南说,四个规划本身差异很大,以谁作为规划框架,即融合的平台,争议还很大。而环境规划目前是基础最薄弱的。

Monday, August 13, 2018

नज़रियाः 'करुणानिधि ने ब्राह्मणों के प्रति पूर्वाग्रह रखकर कभी भेदभाव नहीं किया'

वरिष्ठ पत्रकार और द हिंदू के पब्लिशर एन. राम से बीबीसी संवाददाता विवेक आनंद ने करुणानिधि की राजनीति, शासन, सामाजिक पक्ष, मीडिया से संबंध, विपक्षी राजनेताओं के साथ संबंध, श्रीलंकाई तमिलों के लेकर उनके विचार समेत कई मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की.

सामाजिक न्याय करुणानिधि का आदर्श था. वो 80 वर्षों से भी अधिक समय तक सामाजिक न्याय के समर्थन में सक्रिय थे. सीएन अन्नादुरई के निधन के बाद वे डीएमके के प्रमुख बने और अपनी मौत तक करीब 50 वर्षों तक इस पद पर बने रहे.
जयललिता को एक बार विधानसभा चुनाव भी हार का सामना भी करना पड़ा लेकिन करुणानिधि 13 बार विधानसभा के लिए मैदान में उतरे और एक बार भी नहीं हारे. चाहे सत्ता में हों या ना हों वो हमेशा सामाजिक न्याय के प्रति समर्पित रहे.
हालांकि उन्होंने ब्राह्मण विरोधी आंदोलन से अपनी पहचान बनाई लेकिन ब्राह्मणों के प्रति पूर्वाग्रह रखकर कभी भेदभाव नहीं किया. मैं उन्हें एक बुर्जुग दोस्त के तौर पर व्यक्तिगत रूप से जानता हूं. उन्होंने ब्राह्मणों का केवल वैचारिक विरोध किया लेकिन उन्होंने किसी भी सामाजिक वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह नहीं किया.
वो नास्तिक और तर्कवादी थे. यह उन्होंने कभी जनता से छुपाया नहीं. लेकिन उन्होंने कभी किसी खास धर्म को निशाना नहीं बनाया, अल्पसंख्यकों को लगातार उनका समर्थन मिलता रहा.
समाज कल्याण योजनाओं को लागू करने में तमिलनाडु हमेशा ही देश के शीर्ष दो राज्यों में से एक रहा. इसके मूल कारक भी करुणानिधि ही थे. एमजी रामाचंद्रन और जयललिता के शासन काल में एआईएडीएमके भी इसका हिस्सा रही.
मतभेदों के बावजूद डीएमके और एआईएडीएमके कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती थीं. इस मुद्दे पर दोनों ही पार्टियों में हमेशा ही एक होड़ रही.
करुणानिधि ने अपने शासनकाल के दौरान तमिलनाडु स्लम क्लीयरेंस बोर्ड बनाया, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मज़बूत किया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किया. सार्वजनिक जीवन में उन्हें कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. लेकिन उनमें किसी भी परिस्थिति से अपनी स्थिति को सुधारने की क्षमता थी.
करुणानिधि तक हमेशा ही आसानी से पहुंचा जा सकता था. वो एमजीआर और जयललिता से इस मामले में अलग थे. अगर आप किसी निश्चित समय पर पार्टी दफ़्तर में जाते तो यह तय है कि वो वहां मिलेंगे. मैंने बिना मिले कई बार उनसे फ़ोन पर बातें की हैं.
कभी कभी वो भी मुझे सुबह सुबह फ़ोन करते. वो स्वभाव के बेहद सच्चे थे, जो हमें आज के कई नेताओं में देखने को नहीं मिलता.
शासन के मामले में, वो अपने निर्णयों के बेहद पक्के थे. नौकरशाह के लोग उनके साथ काम करने के लिए बहुत उत्सुक रहते थे. किसी मामले में हां या ना कहने को लेकर उनकी सोच एकदम साफ़ थी.
इसके बावजूद कि करुणानिधि और जयललिता के बीच एक प्रतिद्वंद्विता थी, एमजीआर उनका बराबर सम्मान करते थे. एक बार एमजीआर के एक सहयोगी ने बातचीत के दौरान बिना कलाइग्नर बोले करुणानिधि के नाम का ज़िक्र किया तो एमजीआर ने उसे डांटा और साथ ही कार से उतार दिया. एमजीआर के मौत की ख़बर सुन कर करुणानिधि भी वहां सबसे पहले पहुंचने वालों में से थे.
पिछले कुछ वर्षों को छोड़ दें तो मीडिया के लिए लिखना, फिल्म स्क्रिप्ट, कविताएं लिखना उनकी आदत में शुमार रहा है. किसी भी अन्य राजनेता के पास उनकी तरह लेखन क्षमता नहीं थी. उल्लेखनीय है कि उन्होंने स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, इसके बावजूद उनमें उत्कृष्ट लेखन प्रतिभा थी.
वो पार्टी के मुखपत्र मुरासोली के एडिटर थे. ग़लतियां पसंद नहीं थीं. तमिल भाषा के प्रति उन्हें बेहद प्यार था. केंद्र की जबरन हिंदी को थोपने का उन्होंने विरोध किया लेकिन वो कभी भी हिंदी के ख़िलाफ़ नहीं थे. भाषा को लेकर वो कट्टर नहीं थे.
पत्रकारों के साथ उनके तालमेल अच्छे थे. जब भी हम सरकार की आलोचना करते तो वो हमें अपनी सफ़ाई देने के लिए बुलाते. करुणानिधि ने कभी आगे बढ़ने के लिए ग़लत चाल नहीं चले. वो कभी लिखने और पत्रकारिता से अलग नहीं हुए.
लोकतंत्र में उनका अगाढ़ विश्वास था. शासन में रहने के बावजूद आप उनकी आलोचना कर सकते थे. उन्होंने जयललिता की तरह मीडिया पर 200 मानहानि के मामले कभी दर्ज नहीं करवाए. वो बेहद सहिष्णु थे.में कांग्रेस के विभाजन के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार बगैर डीएमके के समर्थन के बच नहीं सकती थी. राष्ट्रीय राजनीति में उनकी साझेदारी ने हमेशा ही अहम भूमिका निभाई.
जब आपातकाल घोषित किया गया तो डीएमके एकमात्र ऐसी सत्ताधारी पार्टी थी जिसने इसका विरोध किया. इसके बदले में सरकार को बर्ख़ास्त कर दिया गया. वो सत्ता बनाए रखने के लिए इंदिरा के साथ जा सकते थे लेकिन वो लोकतंत्र में विश्वास रखते थे इसलिए एक मज़बूत रुख अख्तियार किया. इस दौरान डीएमके के कई नेताओं को गिरफ़्तार किया गया. उनके बेटे स्टालिन को जेल में पीटा गया.
समय के साथ डीएमके केंद्र में एनडीए का हिस्सा बन गई. लेकिन उनकी सोच केंद्र की सरकार में शामिल होने की थी. यहां ये देखना ज़रूरी है कि राजीव गांधी जिस तरह से इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अचानक राजनीति में आ गए थे, उस तरह से स्टालिन ने राजनीति में क़दम नहीं रखा.
हालांकि राजनीति में कुछ अभिनेताओं को प्रवेश करने की चर्चाएं हैं लेकिन मुझे लगता है कि द्रविड़ पार्टियों प्रभुत्व बना रहेगा. हाल ही में एक ओपिनियन पोल के मुताबिक यदि अभी चुनाव हुए तो डीएमके जीत जाएगी क्योंकि जयललिता के बाद एआईएडीएमके कमज़ोर हो गई है. एक संगठन के तौर पर डीएमके आज मज़बूत है.
लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम या लिट्टे (एलटीटीई) हमेशा ही करुणानिधि की बजाय एमजीआर सरकार के चाहने वाले थे. तमिल ईलम लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (टीईएलओ) के नेता सीरी सबराथिनम की हत्या के बाद करुणानिधि का एलटीटीई के प्रति सम्मान ख़त्म हो गया.
एक बार करुणानिधि ने मुझसे बातचीत के दौरान कहा कि राजीव गांधी की हत्या एक अक्षम्य ग़लती थी. यहां तक कि श्रीलंकाई गृहयुद्ध के अंतिम चरणों के दौरान भी करुणानिधि ने वो सब करने की कोशिश की जो वो कर सकते थे. इसके बावजूद उन्होंने एलटीटीई का सीधे समर्थन नहीं किया.
मैंने उनसे श्रीलंकाई मुद्दे पर कई बार बात की है. हालांकि उनका कहना था कि वो तमिल ईलम के अलग राष्ट्र का समर्थन करते हैं, उनका स्टैंड था कि तमिलों को अपने राजनीतिक अधिकार और श्रीलंकाई संवैधानिक ढांचे के भीतर अपने जीवन को परिभाषित करने की क्षमता प्राप्त करनी चाहिए.
वो चाहते थे कि ईलम एक अलग राष्ट्र तभी बने जब उपरोक्त चीज़ें ना हो सके. अलग ईलम राष्ट्र को लेकर उनका हठ उतना नहीं था जितना कि दूसरों का. वो एलटीटीई की ज़्यादतियों के समर्थन में नहीं थे.
एक बार राजीव गांधी की हत्या के बारे में उनसे बात करते हुए मैंने किसी की कही बात का ज़िक्र किया कि 'एक मूर्खतापूर्ण ग़लती अपराध से भी बदतर है.' पहला, एलटीटीई भारतीय शांति सेना के साथ भयंकर लड़ाई में लगी है. दूसरा, प्रभाकरन खुद राजीव गांधी को मारने की योजना बनाता है. तीसरा, महिंदा राजपक्षे का चुनाव है.

Thursday, May 17, 2018

что будет обсуждаться на переговорах Путина и Меркель в Сочи

пятницу, 18 мая, канцлер Германии Ангела Меркель посетит Сочи, где встретится с российским президентом Владимиром Путиным. В повестке переговоров вопросы политического и экономического сотрудничества, глобальные и региональные проблемы, интересующие Берлин и Москву. По мнению экспертов, у лидеров двух стран широкий спектр тем для обсуждения: от «Северного потока — 2» до ситуации в Сирии. Об основных вопросах сочинского саммита — в материале RT.

В пятницу, 18 мая, в Сочи с рабочим визитом прибывает канцлер Германии Ангела Меркель. Цель приезда — переговоры с российским президентом Владимиром Путиным. Глава ФРГ — первый лидер страны ЕС, который посетит Россию и пообщается с Путиным после его инаугурации. Как отметил в интервью RT директор Фонда прогрессивной политики Олег Бондаренко, визит Меркель носит знаковый характер, так как речь идёт о главе ведущей державы Европы.

Эта встреча в первую очередь будет посвящена обсуждению экономических аспектов сотрудничества на фоне усиления санкций, где главным является строительство «Северного потока — 2», — продолжил он.
3 мая началось строительство немецкого участка газопровода. Эксперт отметил, что в этом проекте заинтересованы как Берлин, так и Москва.
«Россия получает независимость от Украины как крайне ненадёжного транзитёра газа, а Германия тем самым становится европейским газовым центром», — добавил Бондаренко.
на переговорах Альтмайера с главой Министерства энергетики России Александром Новаком стороны договорились, что «большая часть российского природного газа потечёт в Западную Европу по обеим веткам трубопровода «Северный поток», однако частично сохранится и транзит через Украину. Ранее на этом настаивала лично Меркель.
«Если украинцам будут даны какие-то гарантии, сделано это будет для того, чтобы не тормозить строительство «Северного потока — 2», — прокомментировала RT позицию Берлина заместитель руководителя Центра германских исследований Института Европы РАН Екатерина Тимошенкова. — Германия здесь заинтересованная сторона».